कामधेनुगुण विद्या ह्यकाले फलदायिनी। प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्।।
विद्या प्राप्त करना कामधेनु समान है,जो हर मौसम में फलदायी होती है,विद्या (ज्ञान)प्रवास में (विदेश)में भी माता के समान रक्षा करती है, इसलिए विद्या को गुप्त धन कहा गया है ।।
अनारोग्यमनायुष्यमस्वर्ग्यं चातिभोजनम्| अपुण्यं लोकविद्विष्टम्, तस्मात्तत् परिवर्जयेत्||
सीमा से अधिक खाने से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है और आयु घट जाती है| यह कष्टदायक, पापकर्म तथा संसार से द्वेषकारी है| अत: अधिक भोजन नहीं करना चाहिए|
विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् । पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ।।
अर्थात् : विद्या यानि ज्ञान हमें विनम्रता प्रादान करता है, विनम्रता से योग्यता आती है और योग्यता से हमें धन प्राप्त होता है जिससे हम धर्म के कार्य करते हैं और हमे सुख सुख मिलता है
That is, knowledge means knowledge gives us humility, humility brings merit, and merit brings us wealth, through which we do the work of religion and we get happiness.
अनन्तशास्त्रं बहु वेदितव्यम्, अल्पश्च कालो बहवश्च विघ्ना:|
यत्सारभूतं तदुपासितव्यम्, हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमिश्रम्||
जानने योग्य वाङ्मय बहुत अधिक है और समय बहुत अल्प है तथा विघ्न अनेक हैं| इसलिए जो अपने लिए महत्वपूर्ण हो, उसी साहित्य का अध्ययन करना चाहिए, जैसे पानी में मिले दूध में से हंस दूध को ग्रहण कर लेता है|
स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा ! सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् !!
अर्थ : किसी व्यक्ति को आप चाहे कितनी ही सलाह दे दो किन्तु उसका मूल स्वभाव नहीं बदलता ठीक उसी तरह जैसे ठन्डे पानी को उबालने पर तो वह गर्म हो जाता है लेकिन बाद में वह पुनः ठंडा हो जाता है.
पुस्तकस्थातु या विद्या , परहस्त गतं धनम् । कार्य कार्ये समुत्पन्ने ,न सा विद्या, न तद् धनम् ।।
પુસ્તક માં રહેલી વિદ્યા અને બીજા ને આપેલું ધન જ્યારે આપણને જરુર પડે ત્યારે કામ લાગતું નથી.
ગરજ ગાંઠે અને વિદ્યા પાઠે.
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स्वभावं न जहात्येव साधुरापद्गतोऽपि सन् । कर्पूरः पावकस्पृष्टः सौरभं लभतेतराम् ॥
भावार्थ: सज्जन पुरुष विपत्ति पड़ने पर भी अपने सुस्वभाव को नहीं त्यागते जिस प्रकार आग का स्पर्श होने से जलकर नष्ट होने पर भी कपूर सुगन्ध ही प्रदान करता हैं ।
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
अर्थात् : कोई भी काम कड़ी मेहनत से ही पूरा होता है सिर्फ सोचने भर से नहीं| कभी भी सोते हुए शेर के मुंह में हिरण खुद नहीं आ जाता|
Meaning, any work is accomplished by hard work, not just by thinking. Never a deer comes in sleeping lions mouth.